हरे रामा
राम कृपाँ नासहि सब रोगा
जौं एहि भाँति बनै संयोगा
सदगुर बैद बचन बिस्वासा
संजम यह न बिषय कै आसा
रघुपति भगति सजीवन मूरी
अनूपान श्रद्धा मति पूरी
एहि बिधि भलेहिं सो रोग नसाहीं
नाहिं त जतन कोटि नहिं जाहीं
बिमल ग्यान जल जब सो नहाई
तब रह राम भगति उर छाई
सिव अज सुक सनकादिक नारद
जे मुनि ब्रह्म बिचार बिसारद
सब कर मत खगनायक एहा
करिअ राम पद पंकज नेहा
श्रुति पुरान सब ग्रंथ कहाहीं
रघुपति भगति बिना सुख नाहीं
कमठ पीठ जामहिं बरु बारा
बंध्या सुत बरु काहुहि मारा
फूलहिं नभ बरु बहुबिधि फूला
जीव न लह सुख हरि प्रतिकूला
तृषा जाइ बरु मृगजल पाना
बरु जामहिं सस सीस बिषाना
अंधकारु बरु रबिहि नसावै
राम बिमुख न जीव सुख पावै
हिम ते अनल प्रगट बरु होई
बिमुख राम सुख पाव न कोई
जय श्री राम
राम कृपाँ नासहि सब रोगा
जौं एहि भाँति बनै संयोगा
सदगुर बैद बचन बिस्वासा
संजम यह न बिषय कै आसा
रघुपति भगति सजीवन मूरी
अनूपान श्रद्धा मति पूरी
एहि बिधि भलेहिं सो रोग नसाहीं
नाहिं त जतन कोटि नहिं जाहीं
बिमल ग्यान जल जब सो नहाई
तब रह राम भगति उर छाई
सिव अज सुक सनकादिक नारद
जे मुनि ब्रह्म बिचार बिसारद
सब कर मत खगनायक एहा
करिअ राम पद पंकज नेहा
श्रुति पुरान सब ग्रंथ कहाहीं
रघुपति भगति बिना सुख नाहीं
कमठ पीठ जामहिं बरु बारा
बंध्या सुत बरु काहुहि मारा
फूलहिं नभ बरु बहुबिधि फूला
जीव न लह सुख हरि प्रतिकूला
तृषा जाइ बरु मृगजल पाना
बरु जामहिं सस सीस बिषाना
अंधकारु बरु रबिहि नसावै
राम बिमुख न जीव सुख पावै
हिम ते अनल प्रगट बरु होई
बिमुख राम सुख पाव न कोई
जय श्री राम