हरे रामा
सूपनखा रावन कै बहिनी
दुष्ट हृदय दारुन जस अहिनी
पंचबटी सो गइ एक बारा
देखि बिकल भइ जुगल कुमारा
भ्राता पिता पुत्र उरगारी
पुरुष मनोहर निरखत नारी
होइ बिकल सक मनहि न रोकी
जिमि रबिमनि द्रव रबिहि बिलोकी
जय श्री राम
सूपनखा रावन कै बहिनी
दुष्ट हृदय दारुन जस अहिनी
पंचबटी सो गइ एक बारा
देखि बिकल भइ जुगल कुमारा
भ्राता पिता पुत्र उरगारी
पुरुष मनोहर निरखत नारी
होइ बिकल सक मनहि न रोकी
जिमि रबिमनि द्रव रबिहि बिलोकी
जय श्री राम