हरे रामा
अनुज समेत गए प्रभु तहवाँ
गोदावरि तट आश्रम जहवाँ
आश्रम देखि जानकी हीना
भए बिकल जस प्राकृत दीना
हा गुन खानि जानकी सीता
रूप सील ब्रत नेम पुनीता
लछिमन समुझाए बहु भाँती
पूछत चले लता तरु पाँती
हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी
तुम्ह देखी सीता मृगनैनी
खंजन सुक कपोत मृग मीना
मधुप निकर कोकिला प्रबीना
कुंद कली दाड़िम दामिनी
कमल सरद ससि अहिभामिनी
बरुन पास मनोज धनु हंसा
गज केहरि निज सुनत प्रसंसा
श्रीफल कनक कदलि हरषाहीं
नेकु न संक सकुच मन माहीं
सुनु जानकी तोहि बिनु आजू
हरषे सकल पाइ जनु राजू
किमि सहि जात अनख तोहि पाहीं
प्रिया बेगि प्रगटसि कस नाहीं
एहि बिधि खौजत बिलपत स्वामी
मनहुँ महा बिरही अति कामी
जय श्री राम
अनुज समेत गए प्रभु तहवाँ
गोदावरि तट आश्रम जहवाँ
आश्रम देखि जानकी हीना
भए बिकल जस प्राकृत दीना
हा गुन खानि जानकी सीता
रूप सील ब्रत नेम पुनीता
लछिमन समुझाए बहु भाँती
पूछत चले लता तरु पाँती
हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी
तुम्ह देखी सीता मृगनैनी
खंजन सुक कपोत मृग मीना
मधुप निकर कोकिला प्रबीना
कुंद कली दाड़िम दामिनी
कमल सरद ससि अहिभामिनी
बरुन पास मनोज धनु हंसा
गज केहरि निज सुनत प्रसंसा
श्रीफल कनक कदलि हरषाहीं
नेकु न संक सकुच मन माहीं
सुनु जानकी तोहि बिनु आजू
हरषे सकल पाइ जनु राजू
किमि सहि जात अनख तोहि पाहीं
प्रिया बेगि प्रगटसि कस नाहीं
एहि बिधि खौजत बिलपत स्वामी
मनहुँ महा बिरही अति कामी
जय श्री राम