हरे राम
संतन्ह के लच्छन रघुबीरा
कहहु नाथ भव भंजन भीरा
सुनु मुनि संतन्ह के गुन कहऊँ
जिन्ह ते मैं उन्ह कें बस रहऊँ
षट बिकार जित अनघ अकामा
अचल अकिंचन सुचि सुखधामा
अमितबोध अनीह मितभोगी
सत्यसार कबि कोबिद जोगी
सावधान मानद मदहीना
धीर धर्म गति परम प्रबीना
गुनागार संसार दुख
रहित बिगत संदेह
तजि मम चरन सरोज
प्रिय तिन्ह कहुँ देह न गेह
निज गुन श्रवन सुनत सकुचाहीं
पर गुन सुनत अधिक हरषाहीं
सम सीतल नहिं त्यागहिं नीती
सरल सुभाउ सबहिं सन प्रीती
जप तप ब्रत दम संजम नेमा
गुरु गोबिंद बिप्र पद प्रेमा
श्रद्धा छमा मयत्री दाया
मुदिता मम पद प्रीति अमाया
बिरति बिबेक बिनय बिग्याना
बोध जथारथ बेद पुराना
दंभ मान मद करहिं न काऊ
भूलि न देहिं कुमारग पाऊ
गावहिं सुनहिं सदा मम लीला
हेतु रहित परहित रत सीला
मुनि सुनु साधुन्ह के गुन जेते
कहि न सकहिं सारद श्रुति तेते
कहि सक न सारद सेष
नारद सुनत पद पंकज गहे
अस दीनबंधु कृपाल अपने
भगत गुन निज मुख कहे
जय श्री राम
संतन्ह के लच्छन रघुबीरा
कहहु नाथ भव भंजन भीरा
सुनु मुनि संतन्ह के गुन कहऊँ
जिन्ह ते मैं उन्ह कें बस रहऊँ
षट बिकार जित अनघ अकामा
अचल अकिंचन सुचि सुखधामा
अमितबोध अनीह मितभोगी
सत्यसार कबि कोबिद जोगी
सावधान मानद मदहीना
धीर धर्म गति परम प्रबीना
गुनागार संसार दुख
रहित बिगत संदेह
तजि मम चरन सरोज
प्रिय तिन्ह कहुँ देह न गेह
निज गुन श्रवन सुनत सकुचाहीं
पर गुन सुनत अधिक हरषाहीं
सम सीतल नहिं त्यागहिं नीती
सरल सुभाउ सबहिं सन प्रीती
जप तप ब्रत दम संजम नेमा
गुरु गोबिंद बिप्र पद प्रेमा
श्रद्धा छमा मयत्री दाया
मुदिता मम पद प्रीति अमाया
बिरति बिबेक बिनय बिग्याना
बोध जथारथ बेद पुराना
दंभ मान मद करहिं न काऊ
भूलि न देहिं कुमारग पाऊ
गावहिं सुनहिं सदा मम लीला
हेतु रहित परहित रत सीला
मुनि सुनु साधुन्ह के गुन जेते
कहि न सकहिं सारद श्रुति तेते
कहि सक न सारद सेष
नारद सुनत पद पंकज गहे
अस दीनबंधु कृपाल अपने
भगत गुन निज मुख कहे
जय श्री राम