हरे कृष्णा
ईश्वर एक सत्य है जो सर्व व्यापी व् सर्वमय है
तब पर भी जीव उसके सामीप्ये को पा करभी उसे देख नहीं सकता कि वह चक्षुओं व् विषय नहीं है
ईश्वर ज्ञान का विषय है इसी कारण संसारी जीव उसे देख नहीं पाता
ईश्वर की योगिनी माया सदैव संसारी दृष्टि से ईश्वर को अलग रखती है
पर ईश्वर की कृपा से जिसे प्रभु को दर्शन देना होता है तब वह योगमाया उस निहित दृष्टि को प्रदान करती है जिससे जिव भी उसे भौतिक स्वरुप में देख सकता है पर सिर्फ वही जीव अन्यथा नहीं
हा सत्य व् प्रेम के मार्ग पर जीव प्रभु को पा सकता है और प्रभु का दर्शन भी कर सकता है
जय श्री कृष्ण
ईश्वर एक सत्य है जो सर्व व्यापी व् सर्वमय है
तब पर भी जीव उसके सामीप्ये को पा करभी उसे देख नहीं सकता कि वह चक्षुओं व् विषय नहीं है
ईश्वर ज्ञान का विषय है इसी कारण संसारी जीव उसे देख नहीं पाता
ईश्वर की योगिनी माया सदैव संसारी दृष्टि से ईश्वर को अलग रखती है
पर ईश्वर की कृपा से जिसे प्रभु को दर्शन देना होता है तब वह योगमाया उस निहित दृष्टि को प्रदान करती है जिससे जिव भी उसे भौतिक स्वरुप में देख सकता है पर सिर्फ वही जीव अन्यथा नहीं
हा सत्य व् प्रेम के मार्ग पर जीव प्रभु को पा सकता है और प्रभु का दर्शन भी कर सकता है
जय श्री कृष्ण