हरे कृष्णा
तुम मेरी राखो लाज हरी -तुम जानत सब अंतरजामी
करनी कछु न करी -तुम मेरी राखो लाज हरी
औगुन मोते बिसरत नाही- पल झिन धरी धरी
सब प्रपंच की पोत बढी के बाधि के -अपने सीस धरी
दारा सूत धन मोह लिए है -सुधि बुधि सब बिसरी
सुर पतित को बेग उधारो अब मेरी नाव भरी
प्रभु जी तुम मेरी राखो लाज हरी
जय श्री कृष्ण
तुम मेरी राखो लाज हरी -तुम जानत सब अंतरजामी
करनी कछु न करी -तुम मेरी राखो लाज हरी
औगुन मोते बिसरत नाही- पल झिन धरी धरी
सब प्रपंच की पोत बढी के बाधि के -अपने सीस धरी
दारा सूत धन मोह लिए है -सुधि बुधि सब बिसरी
सुर पतित को बेग उधारो अब मेरी नाव भरी
प्रभु जी तुम मेरी राखो लाज हरी
जय श्री कृष्ण